*Editorial (#गांधी_बनाम_गोडसे_फिल्म_पर_विशेष)महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश*
Editorial
(#गांधी_बनाम_गोडसे_फिल्म_पर_विशेष)- मै आज- कल मुम्बई मे हूँ। आज आर सीटी माल मे जाना हुआ और वहां पर मल्टीप्लेक्स मे लगी महात्मा गांधी बनाम नाथू राम गोडसे फिल्म देखी। फिल्म तो फिल्म है। हालांकि फिल्म निर्माता ने दावा किया है कि हमने गांधी और गोडसे के वैचारिक युद्ध को पूरी ईमानदारी के साथ फिल्माने का प्रयास किया है। मै न तो फिल्म निर्माता की ईमानदारी का अनुमोदन करता हूँ और न ही निर्माता के दावे को चुनौती देता हूँ। फिल्म मे एक बात तो यह बताई गई है कि आज़ादी मिलने के बाद महात्मा गांधी चाहते थे कि कांग्रेस को क्योंकि केवल स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाया गया था और अब आजादी प्राप्त हो जाने के बाद कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए। गांधी का मानना था कि कांग्रेस का नाम चुनावी राजनीति करने के लिए इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, लेकिन नेहरु, पटेल, मौलाना और कृपलाणी उनकी बात से सहमत नहीं हुए और इस विचार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सामने रखा गया। वर्किंग कमेटी ने इस विचार को रद्द कर दिया। फिल्म का दावा है कि गोडसे और गांधी मे मुस्लिम तुष्टीकरण को लेकर मतभेद थे। फिल्म ने बताने का प्रयास किया है कि गोडसे जो कि पूरी तरह हिन्दूवादी नेता थे वह गांधी के पाकिस्तान को 55 करोड़ देने का समर्थन करने और उनके मुस्लिम समर्थन से क्षुब्ध और नाराज थे। हालांकि गोडसे को यह कहते दिखाया है कि वह गांधी को आजादी दिलाने का श्रेय देते है, इसीलिए गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या करने से पहले उन्हे प्रणाम किया और उनके पांव छूए। फिल्म मे महात्मा गाधी को जहां महान बताया गया है वंही उनकी पत्नी कस्तूरबा को उनकी कमजोरियों को उजागर करते दिखाया गया है। फिल्मकार का मत है कि यदि गांधी की हत्या न होती तो उनके ग्राम स्वराज के विचार और तत्कालीन कांग्रेस सरकार मे टकराव हो सकता था। फिल्म थोडा सा नाथू राम गोडसे को महामडिंत भी करती हुई दिखाई देती है। गांधी और गोडसे अपने अपने विचारों के प्रति पूरी तरह प्रतिवद्ब है, लेकिन दो ध्रुवो के विचारों को समझने के लिए फिल्म को देखा जा सकता है। यही लोकतंत्र की खूबसूरती है कि आपको हर किसी के विचार को समझने और उस पर टिप्पणी करने की छूट है। यह फिल्म अपने ढंग से महात्मा गांधी और गोडसे के विचारों पर एक सटीक और आलोचनात्मक प्रस्तावना प्रस्तुत करती है। आप उस पर अपनी राय बनाने और टिप्पणी करने के लिए स्वतंत्र है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।