*हिमाचल_की_कांग्रेस_सरकार_और_मुख्यमंत्री_जी_का_व्यवस्था_परिवर्तन_का_दावा* महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
11फरवरी 2023- (#हिमाचल_की_कांग्रेस_सरकार_और_मुख्यमंत्री_जी_का_व्यवस्था_परिवर्तन_का_दावा) –
मै व्यक्तिगत तौर पर हिमाचल के मुख्यमंत्री से परिचित नहीं हूँ, लेकिन जुटाई गई जानकारी के अनुसार वह संघर्षशील व्यक्ति है और एक साधारण परिवार से आते है। यह भी सच है कि वह अपनी मेहनत, संघर्ष और अपने बलबूते पर यहां पहुंचे है। खैर अब वह प्रदेश के मुख्यमंत्री है। उनका राजनैतिक सफर कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायी हो सकता है। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह यह दावा कर रहे है कि वह सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं अपितु व्यवस्था परिवर्तन के लिए आए है। कहने और सुनने को यह नारा बहुत आकर्षक लगता है, लेकिन सच्चाई की कसौटी पर यदि आप इस दावे को परखने का प्रयास करेगें तो निराशा ही हाथ लगेगी। वैसे अच्छा होता मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू अपनी व्यवस्था परिवर्तन की कल्पना को परिभाषित कर देते तो कम से कम उनके समर्थक अधिकारियों को अपनी पोस्टिंग के स्थान पर जमीन खरीद पर लगी पाबंदी को व्यवस्था परिवर्तन से जोड़ने का परहेज करते। हालांकि सुख्खू सरकार का यह निर्णय अभिनंदन योग्य है लेकिन मेरी समझ मे व्यवस्था परिवर्तन जैसा इसमे कुछ नहीं।
मै पिछले 50 वर्षों से देश की राजनीति पर पैनी नजर रखने का प्रयास कर रहा हूँ। व्यवस्था परिवर्तन के नारों ने देश की जनता को केवल निराशा ही दी है। सबसे पहले समग्र क्रांति और व्यवस्था परिवर्तन का नारा लोकनायक जयप्रकाश नारायण के द्वारा दिया गया था। मै भी उस जे.पी आन्दोलन का हिस्सा रहा हूँ। उस आन्दोलन के बाद बनी जनता पार्टी और सरकार, लेकिन उनके नेताओं को लोगो ने वैसे ही कुर्सियों के लिए लड़ते देखा जैसे गोश्त के टूकड़े के लिए कुत्ते लड़ते है, फिर व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर वी पी सिंह आए और भ्रष्टाचार के विरोध मे खूब नारे लगे वह प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन देश जल गया। सैंकड़ो नौजवानों ने मंडल रिपोर्ट के विरोध मे अपने आप को आग के हवाले कर दिया था। फिर आए अरविंद केजरीवाल जो अभी तक डटे है। उनका भी दावा है व्यवस्था परिवर्तन का, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप मे जेल मे बंद अपने मंत्री सत्येंद्र जैन की तुलना भगत सिंह से कर रहे है।
सुख्खू जी की व्यवस्था परिवर्तन की विवेचना करने पर सच्चाई यह है कि उनकी सरकार और पिछली भाजपा सरकार की कार्यप्रणाली मे अभी तक कोई अन्तर नहीं है। उदाहरण के तौर पर बस पहले स्थानांतरण के लिए भाजपा विधायकों का नोट मान्य था और अब कांग्रेस के विधायकों का मान्य हो गया है। पहले बिना पात्रता के भाजपा मंत्रियो के आगे पुलिस पायलट चलती थी और अब मंत्री तो मंत्री सी.पी .एस भी अपने क्षेत्र मे पुलिस पायलट के साथ चलते है। जनता को आर्थिक संकट बताया जा रहा है, लेकिन जब से सरकार बनी है मंत्रीमंडल के सदस्यों के घरों मे रंग रोगन चल रहा है। मुख्यमंत्री जी पहले व्यवस्था परिवर्तन की कल्पना को परिभाषित करें, फिर उस पर काम करें और अपनी कल्पना को साकार करें, लेकिन मेरे विचार मे उसके लिए जरूरी होगा आत्म निरीक्षण, आत्म चिंतन और आत्म अनुशासन।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।