Thursday, September 21, 2023
पाठकों के लेख एवं विचार*इश्क करते रहिये*विनोद वत्स की कलम से*

*इश्क करते रहिये*विनोद वत्स की कलम से*

Must read

1 Tct
Tct chief editor

इश्क करते रहिये
इश्क करते रहिये जवां रहना है तो।
रोज़ मरते रहिये जवां रहना है तो।
ये ग़िज़ा जिंदगी संवारती है।
ये ग़िज़ा मौत से ना हारती है।
रोज़ हँसते रहिये जवां रहना है तो।
सांप डसते रहिये जवां रहना है तो।
हर तरफ दर्द का फसाना है।
चुंगल खोरी हुनर माना है।
गम से लड़ते रहिये जवां रहना है तो।
मर्द बन के सहिये जवां रहना है तो।
सांप बिछु यहाँ अलहदा है।
ज़हर में डूबा हर प्यादा है।
हर्फ पढ़ते रहिये जवां रहना है तो।
रोज़ मिलते रहिये जवां रहना है तो।
चेहरे रंगों में डूबे रहते है।
खुद को इल्मी भी कहते है
मूर्ख बनके रहिये जवां रहना है तो।
सादगी में रहिये जवा रहना है तो।
विनोद वत्स की कलम से

Author

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest article