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*कैसा_यह_मंथन #हेमांशु_मिश्रा*

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#कैसा_यह_मंथन

#हेमांशु_मिश्रा

भागमभाग की जल्दी में,
कैसी यह छुट्टी?
अधिकारों के साये में,
हक़ मांग रही है मिट्टी!!

हिलते दरकते पहाड़ों में,
उफनती यह नदियाँ!
चुनौतियों का शोर है,
याद रखेंगी सदियां!!

विकास की दौड़ में,
प्रकृति की है ललकार!
विनाश की लीला में,
मची कैसी यह हाहाकार!!

कटते पेड़ों का,
अनसुना था क्रंदन!!
मुश्किल भरे दौर में!
कैसा यह मंथन?

मुश्किल भरे दौर में!
कैसा यह मंथन??

Hemanshu Mishra

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One Comment

  1. हिमांशु मिश्रा जी ने बहुत खूब कहा है
    परन्तु सब के अंतःकरण में यह बात बैठ जाये कि
    मेरी धरती मेरा दायित्व है तभी हम इस पृथ्वी उपग्रह को अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रख पायेंगे ।
    हिमांशु जी को हार्दिक साधुवाद। 🙏

    उनके आज्ञा के बिना ही फेसबुक पर सांझा कर रहा हूँ ताकि वो सभी जिनको इस धरती की आवश्यकता है जाग जायें जिन्हे आसमान पर ही पांव रख कर चलना वो ऐसी नसीहतों को नजरअंदाज कर सकते हैं।

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