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HPKV Palampur :*किसानों की आय बढ़ाने में कृषि अधिकारी मदद करें: कुुलपति डा. डी.के.वत्स*

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किसानों की आय बढ़ाने में कृषि अधिकारी मदद करें: कुुलपति डा. डी.के.वत्स

Tct chief editor

खरीफ फसलों पर कृषि अधिकारियों के उद्घाटन पर कुलपति का संबोधन
पालमपुर 3 मई। चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में शुक्रवार को खरीफ फसलों पर राज्य स्तरीय कृषि अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि कुलपति डाक्टर डी.के.वत्स ने अपने उद्घाटन भाषण में वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों से किसानों को खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मौसम अनुकूल कृषि राज्य में खाद्य फसलों, तिलहन, दालों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता से कम है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित फसल किस्मों और प्रौद्योगिकी को किसानों के बीच शीघ्रता से स्थानांतरित करने में कृषि अधिकारियों से मदद मांगी ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो।
कुलपति ने ड्रोन प्रौद्योगिकी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग, फसल विविधीकरण, कृषि मशीनीकरण में रोबोट के उपयोग आदि में विश्वविद्यालय की पहल पर भी चर्चा की। कुलपति ने बम्पर उत्पादन में गुणवत्ता वाले बीज के महत्व पर भी प्रकाश डाला और छोटे समूहों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने बढ़ती जनसंख्या और घटती कृषि भूमि जैसी चुनौतियों पर भी बात की और नई प्रौद्योगिकियों को पेश करने और अपनाने की मांग की।
विशिष्ट अतिथि कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डा. पवन कुमार ने आगामी खरीफ सीजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि आगामी खरीफ सीजन के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक, रसायन, कृषि मशीनरी और उपकरण आदि जैसे कृषि निवेश की व्यवस्था की गई है। उन्होंने जिलेवार इन्हें प्राप्त करने के लिए विभिन्न योजनाओं के साथ फसल उत्पादन लक्ष्य और व्यवस्थाएं के बारे में भी जानकारी साझा कीं।
अनुसंधान निदेशक डा. सुरेश कुमार उपाध्याय ने विश्वविद्यालय की प्रमुख अनुसंधान उपलब्धियों और भविष्य की अनुसंधान प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने पैकेज ऑफ प्रैक्टिस में हिम पालम मक्का कम्पोजिट, हिम पालम धान 3 और हिम पालम धान 4 को शामिल करने का प्रस्ताव रखा और मक्का संकर हिम पालम संकर मक्का 3, चारा जई में अंतर आदि जैसी नई सिफारिशें कीं। उन्होंने चावल, मक्का सोयाबीन, सब्जी की फसले आदि के अनुसंधान कार्यो पर भी चर्चा की।
प्रसार शिक्षा निदेशक डा. नवीन कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा खेती के विभिन्न पहलुओं पर छोटी और लंबी अवधि के प्रशिक्षण आयोजित किए गए है। किसानों के खेतों पर अग्रिम पंक्ति के प्रदर्शनों की जियो टैगिंग शुरू की गई है। उन्होंने अन्य विस्तार शिक्षा गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताते हुए नैनो उर्वरकों के अनुसंधान अनुभव, मक्का में खरपतवार प्रबंधन, रोपाई एवं पोखर धान में रासायनिक खरपतवार नियंत्रण आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कृषि उपनिदेशकों ने कृषि परिदृश्य के बारे में फीडबैक दिया।
कार्यक्रम में डा. लव भूषण और डा. आर.के.असरानी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के लगभग 150 वैज्ञानिकों और राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों समेत कुछ अधिकारियों ने ऑनलाइन मोड के अंतगर्त भी अपनी भागीदारी दर्ज करवाई।

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