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Editorial:- *आनंद शर्मा को कांग्रेस का टिकट_मिलना_और_उनका_टिकट_स्वीकार_करने_की_विवेचना_जरूरी* लेखक महेंद्रनाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश

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6 मई 2024- (#आनंद_शर्मा_को_कांग्रेस_का_टिकट_मिलना_और_उनका_टिकट_स्वीकार_करने_की_विवेचना_जरूरी)–

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मेरा ब्लॉग पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता ठाकुर जय राम के इस आरोप की पुष्टी नहीं करता है कि आनंद शर्मा को कांग्रेस ने सोची- समझी साजिश के तहत कांगडा से प्रत्याशी बनाया है, फिर भी उनको कांग्रेस का प्रत्याशी बनाना और उनका उम्मीदवारी को स्वीकार करना कई सवाल खड़े करता है जिनका उत्तर ढूंढना मेरे जैसे छात्र के लिए जरूरी था। यह बात काबिलेगौर है कि मै पिछले लगभग 50 वर्षों से हिमाचल की राजनीति पर नजर रख रहा हूँ। प्रदेश के दोनो प्रमुख राजनैतिक दलों भाजपा और कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति को फॉलो भी कर रहा हूँ लेकिन मै उनको टिकट देने और उनके स्वीकार करने के पीछे क्या तर्क है उसे समझने मे असमर्थ हूँ। मै उनसे उनके छात्र जीवन काल से परिचित हूँ। मैने उनके राजनैतिक जीवन को छात्र राजनीति से लेकर कांग्रेस राजनीति मे आसमान को छूते हुए देखा है। कभी गांधी परिवार के आंख के तारे रहे आनंद शर्मा हिमाचल कांग्रेस के स्ट्रांग मैन वीरभद्र सिंह के विरोध के बावजूद राज्यसभा का टिकट भी झटकते रहे और केन्द्रीय मंत्री भी बनते रहे, लेकिन बदलते हालात मे जिस आनंद को राजस्थान से भी राज्यसभा के लिए एडजस्ट किया गया था वह अपने ही प्रदेश मे राज्यसभा टिकट के लिए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पिछड़ गए।

मेरी समझ मे इसका एक बड़ा कारण था कि आनंद शर्मा ने गांधी परिवार से बगावत कर जी 23 के नाम से मशहूर ग्रुप मे सक्रिय भूमिका स्वीकार कर ली थी। उन दिनो वह भाजपा के सम्पर्क मे है ऐसी अपुष्ट खबरें आम थी। खैर अभी हाल ही में उन्होने कांग्रेस के जातीय ऐजंडे और जातीय जनगणना का सार्वजनिक तौर पर विरोध किया और राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र भी लिखा। उन्होने कांग्रेस को कांग्रेस का नारा याद करवाया कि “न जात पर न पात पर मोहर लगेगी हाथ पर”। अब ऐसी परिस्थितयों मे कांग्रेस का उन्हे ऐसे क्षेत्र से टिकट देना जो अपने जातीय समीकरणो और क्षेत्रीय असंतुलन के असंतोष के लिए जाना जाता है कई स्वभाविक प्रश्न और सन्देह उत्पन्न करता है। मेरे विचार मे उनका टिकट न क्षेत्रीय सन्तुलन बनाता है और न ही जातीय समीकरण साधता है। यदि कांग्रेस का आनंद शर्मा के प्रति आकस्मिक प्रेम जाग ही गया था और पार्टी उन्हे लोकसभा मे बड़ी भूमिका देना चाह रही थी तो उनके लिए चंडीगढ या नई दिल्ली अधिक सुरक्षित सीट हो सकती थी।

#आज_इतना_ही।

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