Mandi /Chamba /Kangraदेशपाठकों के लेख एवं विचार

*आज गुरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयंती पर विशेष* लेखिका कमलेश सूद पालमपुर

नमन मंच विधा कविता विषय "गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर "

1 Tct

नमन मंच
विधा कविता
विषय “गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर “

Tct chief editor

नभपटल पर इक ध्रुवतारा चमका, नाम था कविंद्र, रविन्द्र प्यारा,
भारत को विश्व-स्तरीय सम्मान दिलाया, महाग्रंथ लिखकर न्यारा।

सात मई अट्ठारह सौ इक्सठ में जन्मा,बुझ गया था इक्तालीस में,
लिख डाले महाग्रंथ कई और कीर्ति फैली थी विश्व भर में।

चित्रकार थे बड़े अनोखे प्रकृति के कुशल चितेरे थे,
गद्य -पद्य के गजब रचयिता,लघुकथाकार अनोखे थे।

सामना किया आलोचनाओं का, खतरों से वो डरे नहीं,
बांग्ला साहित्याकाश तो उनकी कृतियों बिन सजा ही नहीं।

देशप्रेमी, प्रकृति के दीवाने, राष्ट्रगान दो लिख डाले,।
“अमार सोनार बांग्ला” और “जन गण मन” रच डाले।

गीतांजलि रचा एक महाकाव्य जो अद्वितीय और बेजोड़ नमूना था,
पढ़कर हलचल मची विश्व में,जग ने उनको माना था।

यह ग्रंथ सजा था बांग्ला मूल के शताधिक गीतों से,
अंग्रेज़ी कविताएं भी थीं,भरी उच्च स्तरीय भावों से।

महाकाव्य यह, करूणा विभोर और बलिदानों की गाथा है,
कविवर के मन के भावों का अनमोल, विशिष्ट खजाना है।

आत्मा और परमात्मा का गुरुवर ने मेल कराया है,
इस महाग्रंथ में ईश्वर-प्रकृति का सरस प्रेम दर्शाया है।

विभिन्न रूप हैं ईश्वर के और फिर भी वे सब एक हैं,
टकराते हैं इक दूजे से पर मूल सभी का एक है।

ऐसे महाग्रंथ को कविंद्र रविन्द्र ने प्रभु चरणों में भेंट किया,
दुनियां को आत्मशुद्धि, प्रेम, प्रार्थना, समर्पण का संदेश दिया।

इस महाग्रंथ को पढ़कर, हलचल मच गई धरती पर,
एशिया का यह भारतीय है जो पुरस्कृत हुआ इस करनी पर।

विश्व स्तर पर पुरस्कृत हुए गुरुवर नोबेल पुरस्कार से,
१९१३का वर्ष था जब कोहिनूर चमका साहित्याकाश में।

कलाकार व चित्रकार औ कलमकार थे सहृदय सखा महान,
भारत को गौरवान्वित करके किया विश्व भर में नाम।

देशभक्त थे प्रभुप्रेमी थे, सबसे करते थे वे प्यार,
देखा जब जलियांवाला बाग में घृणित नरसंहार।

लौटाई “नाइटहुड” की पदवी अंग्रेज़ों को, किया उनका बहिष्कार,
शांत मौन तपस्वी से कवि ने किया था नाराजगी का इजहार।

गुरुवर भारत के अनमोल रत्न थे,हर भारतवासी धन्य हुआ।
ऐसा व्यक्तित्व, ऐसा कलाकार न देखा था पहले न अन्य हुआ।

Mrs kamlesh Sood
Mrs Kamlesh Sood

स्वरचित कविता
कमलेश सूद।
पालमपुर १७६०६१
हिमाचल प्रदेश।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button