Road Accident:-*जालग में हुआ दर्दनाक हादसा पेड़ गिरने से बाइक सवार की मौत, परिवार पर दुखों का पहाड़*
ऐसी दुखद दुर्घटनाओं के लिए शासन और प्रशासन या NGT कौन जिम्मेदार? : स्थानीय प्रशासन को सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों की नियमित जांच और रखरखाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षित हैं और गिरने का खतरा नहीं है।
_दुखद हादसा: पेड़ गिरने से बाइक सवार की मौत, परिवार पर दुखों का पहाड़_
हिमाचल प्रदेश के जयसिंहपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत जालग़ में एक दुखद हादसा हुआ, जहां एक पेड़ गिरने से बाइक सवार अनिल राणा की मौत हो गई। अनिल राणा (50) आबकारी एवं कराधान विभाग पालमपुर में कार्यरत थे और अपनी ड्यूटी के बाद घर वापस जा रहे थे जब यह हादसा हुआ।
स्थानीय लोगों ने बताया कि अनिल राणा बहुत ही मृदु भाषी, हंसमुख और दूसरों के दर्द को समझने वाले नेक दिल इंसान थे। उनके परिवार में बूढ़ी मां, धर्मपत्नी और एक बेटा है, जो पोल टेक्निकल कॉलेज में डिप्लोमा कर रहा है।
इस हादसे ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है और स्थानीय प्रशासन, एनजीटी और पेड़ के मालिक या प्रबंधक को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यह हादसा हमें भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सावधानी बरतने और सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों की नियमित जांच और रखरखाव की आवश्यकता की याद दिलाता है।
हमारा सरकार और संबंधित विभाग से आग्रह है कि पीड़ित परिवार का पूरा सहयोग किया जाए और सरकारी नौकरी के दौरान मृत्यु होने पर परिवार के सदस्य को नौकरी देने के प्रावधान का पालन किया जाए। साथ ही, हमें भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए और सार्वजनिक स्थानों पर पेड़ों की नियमित जांच और रखरखाव की आवश्यकता को पूरा करना चाहिए।
इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदारी तय करने के लिए एक विस्तृत जांच की आवश्यकता है। हर रोज कहीं ना कहीं इस तरह की दुर्घटनाएं होती हैं । शासन प्रशासन से बात की जाए तो वह एनजीटी का रोना रोकर अपना पल्लू झाड़ लेते हैं कि उनके वश में कुछ भी नहीं है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट या कार्यपालिका को अवश्य संज्ञान लेना चाहिए और ऐसा कानून बनना चाहिए कि अगर आप एक पेड़ काटते हो तो तीन या 4 लगाइए परंतु खतरनाक पेड़ों से राहगीरों की जान बचाइए
भगवान दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिवार को इस दुखद घड़ी को सहन करने की शक्ति प्रदान करे।। अनिल राणा की हुई अचानक मौत पर हर कोई क्षब्द था। परिवार का एकमात्र सहारा जिसके ऊपर पूरा परिवार निर्भर था मानो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। स्थानीय लोगों ने बताया कि अनिल जी बहुत ही मृदु भाषी, हंसमुख और दूसरों के दर्द को समझने वाले नेक दिल इंसान थे। अनिल जी अपने पीछे रोता बिलखता परिवार को छोड़ कर अपनी सांसारिक यात्रा पूर्ण करके बैकुंठ धाम की और प्रस्थान कर गए। उनके परिबार में बूढ़ी मां,धर्मपत्नी और एक बेटा है। बेटा इनका पोल टेक्निकल कॉलेज में डिप्लोमा कर रहा है। हमारा सरकार और संबंधित विभाग से भी आग्रह रहेगा कि जो सरकार का प्रोटोकॉल है कि सरकारी नौकरी के दौरान किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार के सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान है ।इस मामले में पीड़ित परिवार का पूरा सहयोग किया जाए। ताकि किसी सदस्य को सरकारी नौकरी मिलने पर बो परिवार का सहारा बन सके।