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*पंजाब में ‘उड़ती’ कांग्रेस ******************* सुनील जाखड़ भी उखड़ गए*

Tct chief editor

पंजाब में ‘उड़ती’ कांग्रेस
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सुनील जाखड़ भी उखड़ गए
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आज कांग्रेस में दो बातें हुईं। पंजाब कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष को जेल हुई और दूसरे पूर्व अध्यक्ष भाजपा के हुए। हम दूसरे की ही बात करेंगे। पंजाब के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ भाजपा के हो गए हैं। कह सकते हैं कि पंजाब में कांग्रेस फिलहाल सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई है। नशे के कारण पंजाब को उड़ता पंजाब कहते हैं। उड़ता पंजाब तो शायद संभल जाएगा लेकिन इस उड़ती कांग्रेस का भगवान ही मालिक है।
कांग्रेस के रणनीतिकार यहां पार्टी को डूबोने में निरंतर लगे हुए हैं। उन्हें बराबर कामयाबी भी मिल रही है। किसी को नवजोत सिंह सिद्धू में नेतृत्व दिखा तो अपने ही सीएम अमरिंदर सिंह को घर बिठा दिया। जिस सुनील जाखड़ को तब सीएम बनाना चाहिए था, उन्हें एक-दो नेताओं के कहने पर नहीं बनने दिया गया। यह कह कर कि जाखड़ सिख नहीं है। उन्हें तरीके से खुड्डेलाइन लगा दिया गया। अचानक ही चन्नी को चन्न (चांद) पर पहुंचा दिया। लेकिन वो बाद में सिद्धू को पचे नहीं। सिद्धू बतौर प्रदेशाध्यक्ष भी अपनी ही पार्टी का तवा लगाते रहे। नतीजतन चन्नी गए, सिद्धू का गुरूर टूटा और पार्टी की भी सत्ता से शर्मनाक विदाई हुई। अब जाखड़ भी गए।
कुछ समय से कांग्रेस में जाखड़ की भयानक अनदेखी हो रही थी। बावजूद इसके मैनें उनसे कर्मठ कांग्रेसी नहीं देखा पंजाब में। हाल ही में जाखड़ ने आला नेतृत्व पर सवाल भी उठाए थे। कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाना हमेशा ही पार्टी में पाप की मानिंद रहा है। सो जाखड़ पापी करार दिए गए। अब भाजपा में जाने के अलावा कोई रास्ता था भी नहीं।
मैं सुनील जाखड़ से 2006 में उनके शहर अबोहर में मिला था। दैनिक भास्कर में किसी स्टोरी के लिए अबोहर जाना हुआ था। उनके साथ लंबी बैठक हुई। बेहद मिलनसार और दूरदर्शी नेता। बोले कि पंजाब की चुनौती कर्ज आदि नहीं है बल्कि नशा है। उन्होंने मुझे समझाया कि अबोहर जैसे सीमावर्ती क्षेत्र कैसे नशे के ट्रांजिट पॉइंट बन रहे हैं। इसे रोकना होगा। वे चाहते थे कि अखबार के माध्यम से एक मुहिम चलाई जाए। मैं सुनील जाखड़ की बातों से बेहद प्रभावित हुआ। वो पंजाब के उड़ता पंजाब बनने की शुरूआत थी। इस नेता ने तब भांप लिया था कि क्या भविष्य होगा नशे से। बाद के सालों में हमने देखा भी। खैर उसके बाद बीच-बीच में उनसे बात होती रही। कुछ महीनों बाद मैं जम्मू कश्मीर चला गया और बातचीत का सिलसिला थम गया। लेकिन उनकी सियासत को मैं बराबर देखता रहा। बढि़या वक्ता, सुलझे हुए लीडर और पंजाब की धार्मिक एकता के पैरोकार।
बहरहाल बीजेपी उन्हें किस भूमिका में रखती है, ये वक्त बताएगा। हां इस वक्त कांग्रेस को देख कर यह जरूर कह सकते हैं कि सच में बहुत बुरा हाल है।

Hemant Sharma sr. journalist

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