*दिल की बीमारी, देखभाल और बचाव – डॉ. उमेश कश्यप, हृदय रोग विशेषज्ञ, सिविल अस्पताल पालमपुर*


दिल की बीमारी, देखभाल और बचाव
– डॉ. उमेश कश्यप, हृदय रोग विशेषज्ञ, सिविल अस्पताल पालमपुर

#बातचीत
आजकल दिल की बीमारियां (Heart Diseases) भारत में तेजी से बढ़ रही हैं। ये न केवल वरिष्ठ नागरिकों को, बल्कि युवाओं को भी प्रभावित कर रही हैं। मुख्य कारणों में तनाव, अनियमित जीवनशैली, असंतुलित आहार, धूम्रपान और व्यायाम की कमी प्रमुख हैं। परंतु यदि समय रहते सावधानी बरती जाए, तो हृदय रोगों से बचाव संभव है। एक हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में मेरा अनुभव यही कहता है — रोकथाम इलाज से बेहतर है।
1. शुरुआती दिल की देखभाल (Initial Heart Care)
नियमित रूप से ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
यदि परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो और अधिक सतर्क रहें।
हर वर्ष ECG, लिपिड प्रोफाइल, ECHO या TMT जैसी जाँच अवश्य कराएं।
वजन को नियंत्रित रखें और अधिक मोटापे से बचें।
2. हृदय-स्वास्थ्य के लिए उचित आहार (Heart Healthy Diet)
क्या खाएं (Do’s):
✅ ओट्स, दलिया, साबुत अनाज
✅ हरी सब्जियां, फल, दालें
✅ बादाम, अखरोट, अलसी के बीज
✅ जैतून या सरसों का तेल सीमित मात्रा में
क्या न खाएं (Don’ts):
❌ तली-भुनी चीजें, जंक फूड
❌ ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड फूड
❌ अधिक नमक और चीनी
❌ धूम्रपान और शराब
3. जीवनशैली में कुछ ज़रूरी बातें (Some Do’s and Don’ts)
जरूर करें (Do’s):
प्रतिदिन 30–45 मिनट की वॉक या योग
तनाव कम करने हेतु ध्यान या प्राणायाम
पर्याप्त नींद (6–8 घंटे)
डॉक्टर की सलाह अनुसार दवाओं का नियमित सेवन
बचें (Don’ts):
अत्यधिक तनाव और मानसिक दबाव
अधिक वजन उठाने या अचानक व्यायाम से
अपनी मर्जी से दवाएं न बदलें या बंद करें
4. हृदय रोग से बचाव (Preventive Measures)
समय-समय पर हेल्थ चेकअप कराएं, विशेषकर 35 वर्ष के बाद।
तनाव प्रबंधन करें – हंसी, संगीत, प्रकृति से जुड़ाव लाभदायक है।
धूम्रपान पूरी तरह छोड़ें, यह सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है।
परिवार में भी जागरूकता फैलाएं – हार्ट अटैक के लक्षणों की जानकारी सभी को होनी चाहिए।
5. आपातकाल की स्थिति में क्या करें (What to Do in Emergency)
अगर किसी को हार्ट अटैक की संभावना हो, तो:
लक्षण पहचानें: सीने में भारीपन/दर्द, बाएं हाथ/जबड़े/पीठ में दर्द, पसीना, सांस फूलना, चक्कर आना।
तुरंत 108 पर कॉल करें और मरीज को लेटाएं।
300mg एस्पिरिन (यदि एलर्जी न हो) चबाने को दें।
बेहोशी की हालत में यदि सांस न आ रही हो तो CPR देना आवश्यक है – इसके लिए पहले से ट्रेन्ड होना चाहिए।
दिल की बीमारी गंभीर हो सकती है, लेकिन यह रोकी जा सकती है। सजगता, संयमित जीवनशैली और समय पर जांच से आप अपने हृदय को स्वस्थ रख सकते हैं। सिविल अस्पताल पालमपुर में हम आपके हृदय की संपूर्ण जांच और देखभाल के लिए हमेशा तत्पर हैं।
– डॉ. उमेश कश्यप
हृदय रोग विशेषज्ञ
सिविल अस्पताल, पालमपुर (हिमाचल प्रदेश)