*प्रोफेसर एच.के.चौधरी ने कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति के रूप में दो साल पूरे किए*
प्रोफेसर एच.के.चौधरी ने कुलपति के रूप में दो साल पूरे किए.
कुलपति के रूप में उनकी दो साल की यात्रा पूरी होने पर, पिछले वर्ष के प्रेस कवरेज का एक संग्रह प्रो. एच.के.चौधरी को प्रस्तुत किया गया था। कुलपति ने विश्वविद्यालय मीडिया प्रकोष्ठ के प्रयासों की सराहना की और विश्वविद्यालय के शिक्षण, अनुसंधान और अपने अधिदेश को पूरा करने के प्रयासों को उजागर करने के लिए प्रेस को धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय है कि प्रोफेसर एसके चौधरी इस कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के साइंटिस्ट तथा प्रोफेसर के रूप में लगभग 3 दशकों से अपनी सेवाएं इस विश्वविद्यालय में दे रहे हैं। वह केवल विश्वविद्यालय को अपनी सेवाएं ही प्रदान नहीं कर रहे हैं परंतु वह मानसिक तथा आत्मिक रूप से इस विश्वविद्यालय से दिल की गहराइयों से जुड़े हुए हैं तथा विश्वविद्यालय की छोटी से छोटी उपलब्धि तथा छोटी से छोटी हानि को उसी रूप में लेते हैं जैसे कि किसी बड़ी से बड़ी उपलब्धि को लिया जाता है। प्रोफेसर एसके चौधरी अपनी उपलब्धियों का बखान कम करते हैं इसके विपरीत वह इस विश्वविद्यालय को सफलता के शिखर पर कैसा पहुंचाना इसके लिए दिन-रात कार्य करते हैं तथा इस विश्वविद्यालय में एक छोटी सी हानि को भी वह अपनी निजी हानि समझकर उस पर त्वरित कार्यवाही करके विश्वविद्यालय को हानि से बचाने की हर संभव कोशिश करते हैं ।
चाहे वह हानि उसकी विश्वसनीयता के रूप में हो या वित्तीय रूप में हो या फिर उसकी सफलता को दरकिनार करने वाले लोगों के विचारों को बदलने के प्रति हो ,वह विश्वविद्यालय के प्रति हमेशा एक सकारात्मक सोच लेकर चलते हैं तथा अपने आलोचकों तथा विश्वविद्यालय में कमी निकालने वाले लोगों के प्रति भी सकारात्मक भाव भरने की हमेशा कोशिश करते हैं। उनका विश्वास है सकारात्मक सोच के आधार पर ही हम तरक्की की राह पर अग्रसर होते हैं। इसके विपरीत हम तरक्की कर भी रहे हों,परन्तु हमारी सोच और विचार नकारात्मक हों ,,तो बेहतर नतीजे और सफलता किसी काम की नहीं होती। विद्यार्थियों तथा किसानों के बारे में उनकी विशेष चिंता रहती है ताकि वह इस विश्वविद्यालय की इन दो नींव पत्थरों को को हमेशा मजबूत बनाकर रखें ताकि विश्वविद्यालय की सुंदर इमारत को वैज्ञानिकों, सहयोगी स्टाफ तथा अन्य कर्मियों के अथक परिश्रम से और अधिक सुंदर बनाया जा सके तथा इस विश्वविद्यालय की सार्थकता को जमीनी हकीकत पर उतारा जा सके। सारांश में कहा जाए तो विश्व विद्यालय की credibility को आगे बढ़ाने में उन्होंने दिन रात मेहनत की है और इसमें वह काफी हद तक सफल भी हुए हैं