*आखिर_गुलाम_नबी_आजाद_ने_भी_कांग्रेस_को_कहा_अलविदा*
28 अगस्त 2022 – (#आखिर_गुलाम_नबी_आजाद_ने_भी_कांग्रेस_को_कहा_अलविदा) —
कांग्रेस के जी 23 के नेता एवं पार्टी के वरिष्ठतम नेताओं मे से एक गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस छोड़ दी है। मै इस बात पर टिप्पणी करने की स्थिति मे नहीं हूँ कि कांग्रेस मे यह बिखराव कब और कैसे रूकेगा, लेकिन कांग्रेस के विचार से अलग विचार रखते हुए भी मेरा यह मानना है कि कांग्रेस का बिखराव देश हित मे नहीं है। मै आजाद की इस बात से पुरी तरह सहमत हूँ जो उन्होने यह कहा है कि मैं भारी मन से पार्टी छोड़ रहा हूँ। किसी पार्टी को छोड़ते हुए दुख होना स्वभाविक है जिसको आपने अपनी जिन्दगी के 50 वर्ष दिए हो। आजाद की इस पीड़ा को समझना मेरे लिए इस लिए भी सरल है क्योंकि मै भी अपनी पार्टी को छोड़ने का दंश 2002 मे झेल चुका हूँ। यह भी सही है कि कुछ लोग स्वार्थ से पार्टी छोड़ते या दल बदल करते है, लेकिन कभी-कभी परिस्थितियां आपको पार्टी छोड़ने के लिए मजबूर कर देती है या आपको पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है।
खैर आप मेरे उस ब्लॉग को स्मरण करे जिसमे मैने कहा था कि कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने से ज्यादा जरूरी है कांग्रेस जोड़ो अभियान चलाना। कांग्रेस को अलविदा कहते हुए कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं मे से एक गुलाम नबी आजाद ने भी यही बात कही है। उन्होने कांग्रेस पर कई टिप्पणीयां की है। उन्होने सोनिया गांधी को सिर्फ नाम मात्र का की नेता बताया है और राहुल को कांग्रेस की बर्बादी का कारण बताया है। अब कांग्रेस को इतने नेता छोड़कर जा चुके है कि उनकी गिनती करना मेरे वश की बात नही है। लेकिन गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़कर जाते हुए कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी को पांच पृष्ठ का पत्र लिख कर कांग्रेस की राजनीति और कांग्रेस संगठन को लेकर कुछ मौलिक प्रश्न खडे किए है। मेरे विचार मे कांग्रेस को उन प्रश्नो पर विचार कर आत्म चिंतन करना चाहिए। कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने भी आजाद के त्यागपत्र पर टिप्पणी करते हुए आत्म चिंतन की जरूरत को जरूरी बताया है। ईमानदारी से किया गया आत्म चिंतन और फिर नेताओ की सोच और व्यवहार मे परिवर्तन ही कांग्रेस का बिखराव रोकने मे सहायक सिद्ध हो सकता है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।