*सामाजिक_कार्यकर्ता_अन्ना_हजारे_की_अरविंद_केजरीवाल_को_पाती, लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश*
01 सितम्बर 2022 – (#सामाजिक_कार्यकर्ता_अन्ना_हजारे_की_अरविंद_केजरीवाल_को_पाती)-
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जिन्हे कभी आम आदमी पार्टी के नेता एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अपना आदर्श मानते थे ने दिल्ली आबकारी नीति को लेकर केजरीवाल को चिट्ठी भेजी है।प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे छपी रिपोर्ट के अनुसार इस चिट्ठी मे जहां दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर नाराजगी जताई है, वहीं उन्होंने केजरीवाल को उनकी पुस्तक स्वराज की याद दिलाई है जिसमे अरविंद केजरीवाल ने शराब पर पाबंदी की वकालत की है। स्मरण रहे दिल्ली सरकार की नई शराब नीति के अनुसार शराब सेवन की उम्र घटा दी गई है। शराब की विक्री दुकानों की संख्या मे भारी बढौतरी कर दी गई है और शराब की बिक्री के समय को भी बढ़ा दिया गया है।
दिल्ली सरकार नई शराब नीति को लेकर भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही है। सरकार के मुख्यसचिव की सिफारिश पर दिल्ली के एल जी ने मामला सी.बी.आई को सौंप दिया है और सी.बी.आई प्राथमिकी दर्ज कर जांच कर रही है। अन्ना ने केजरीवाल को अपने पत्र मे सत्ता के नशे मे चूर बताया है। अन्ना ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐतिहासिक आन्दोलन से जन्मी नई पार्टी भी अब दूसरे दलों के रास्ते पर चल रही है। उधर केजरीवाल ने पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अन्ना का भाजपा इस्तेमाल कर रही है। मै केजरीवाल की प्रतिक्रिया पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा, लेकिन यह सच है कि किसी का इस्तेमाल कर फेंक देने मे अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नही है। उन्होने अन्ना आन्दोलन का इस्तेमाल अपनी राजनैतिक आकांक्षा पुरी करने के लिए किया। उन्होंने अपने दोस्तों कुमार विश्वास , योगेन्द्र यादव और आशुतोष का इस्तेमाल किया और पार्टी से बाहर कर दिया। उन्होने आम आदमी पार्टी बनाने और पार्टी की स्थापना करने वालो और पार्टी की आर्थिक सहायता करने वाले पिता-पुत्र शांति भूषण और प्रशांत भूषण का इस्तेमाल किया और दरकिनार कर दिया।
अन्ना ने केजरीवाल की कथनी और करनी मे अंतर का भी आरोप लगाया है। उनके इस आरोप मे भी दम नजर आता है क्योंकि वह सत्ता परिवर्तन नहीं अपितु व्यवस्था परिवर्तन का नारा देकर राजनीति मे आए थे। अब वह सत्ता के खेल के बड़े खिलाडी बन गए है। अब उनकी पार्टी और परम्परागत राजनीतिक पार्टियों के व्यवहार और चरित्र मे कोई विशेष अंतर नहीं है। वह लोकपाल और लोकायुक्त कानून को ऐजंडा बना कर राजनीति मे आए थे। अन्ना का आरोप है कि अब वह सब कुछ भूल गए है। आप पार्टी मे भी अधिकांश परम्परागत पार्टियों की तर्ज पर भीतरी लोकतंत्र नहीं है। आम आदमी पार्टी के केजरीवाल सुप्रीमो बन गए है उनसे कोई प्रश्न नहीं कर सकता है। अब आम आदमी पार्टी के बारे मे यही कहा जा सकता है कि ” #न_खाता_न_बही_जो_केजरीवाल_कहे_वही_सही ” सोफत सोलन