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*भाजपा_के_परिवारवाद_के_विरोध_की_छाया_कांग्रेस_के_अध्यक्ष_पद_के_चुनाव_पर_पड़_रही_है*

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24 सितंबर 2022 – (#भाजपा_के_परिवारवाद_के_विरोध_की_छाया_कांग्रेस_के_अध्यक्ष_पद_के_चुनाव_पर_पड़_रही_है)–

कांग्रेस का अध्यक्ष चुनावी प्रक्रिया से चुना जाना राष्ट्रहित मे है। गांधी परिवार का इस पद की दौड़ से अलग हो जाने के पीछे भीतरी परिस्थितियां तो है ही लेकिन भाजपा का परिवारवाद के विरोध मे चलाया जा रहा तीखा अभियान भी एक बड़ा कारण है। भाजपा जब राजनीति मे परिवारवाद को खत्म करने की बात करती है तो निश्चित तौर पर उसके निशाने पर गांधी परिवार और कांग्रेस पहले नंबर पर होती है। देश मे सक्रिय अन्य क्षेत्रीय दलों मे भी जो भाजपा का विरोध करते है उनमे भी अधिकतर का नेतृत्व और प्रबंधन परिवारो के हाथो मे ही है, इसलिए ही भाजपा को परिवारवाद के खिलाफ अभियान चलाना लाभप्रद लगता है। खैर राहुल गांधी दृढ़निशचयि रहे और अपनी उस घोषणा पर अटल दिखाई दे रहे है कि अब गैर गांधी को कांग्रेस के अध्यक्ष बनाने का समय आ गया है। गैर गांधी के अध्यक्ष बनने का कांग्रेस को लाभ होगा या नुकसान इस पर राजनैतिक विश्लेषकों की अलग- अलग राय है। वैसे मेरे विचार मे इसका निर्णय केवल भविष्य के गर्भ मे है।

मीडिया की रिपोर्टिंग और अटकलों के अवलोकन के बाद लगता है कि सीता राम केसरी के बाद यह जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मिल सकती है। वह गांधी परिवार की पहली पसंद बताए जा रहे है, लेकिन अभी भी एक पेच फसा है कि गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने रहना चाहते है। वह इस फार्मूले को आगे बढ़ा रहे है कि वह बिना मंत्रालय के मुख्यमंत्री बने रहे और काम की जिम्मेदारी के लिए दो उप- मुख्यमंत्री बना दिए जाए, लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने गहलोत को साफ कर दिया है कि एक व्यक्ति और एक पद के सिद्धांत को मानना होगा। प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार गहलोत ने यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात की और वहीं राहुल ने स्पष्ट किया कि उदयपुर चिंतन शिविर का निर्णय एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत लागू होगा। अखबार की रिपोर्ट के अनुसार यदि गहलोत इस सिद्धांत को मानते हुए मुख्यमंत्री का पद छोड़कर अध्यक्ष पद स्वीकार करते है तो वह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि मुख्यमंत्री का पद उनके किसी वफादार को दिया जाए और कम से कम सचिन पायलट को कदाचित न दिया जाए। राहुल गांधी ने मीडिया के कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर दिलचस्पी दिखाने पर प्रश्न खड़े किए है। मेरे विचार मे इस दिलचस्पी का बडा कारण है कि आज भी मीडिया कांग्रेस और भाजपा को ही देश की राजनीति मे प्रासंगिक मानता है। भाजपा लगातार अपने अध्यक्ष का चुनाव हर तीन साल बाद करती है। कांग्रेस 22 साल बाद चुनाव कर रही है, इसलिए मीडिया की दिलचस्पी स्वभाविक है। मेरा मानना है कि मीडिया की दिलचस्पी कांग्रेस और राहुल गांधी के लिए खुशी की बात होनी चाहिए।

Mohinder Nath Sofat

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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