पाठकों के लेख एवं विचार

*जातिवाद_एक_बुराई_भी_है_तो_समाज_की_एक_सच्चाई_भी_है)-*

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Tct chief editor

11 अक्तूबर 2022- (#जातिवाद_एक_बुराई_भी_है_तो_समाज_की_एक_सच्चाई_भी_है)-

भारतीय समाज मे जातिवाद एक बड़ी बुराई है वहीं यह भारतीय समाज की एक बड़ी सच्चाई भी है। अभी हाल ही मे देश के दो महत्वपूर्ण व्यक्तियों ने जाति को लेकर दो टिप्पणियां की है। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा है कि गुजरात की जनता उन्हे पिछले दो दशकों से आशीर्वाद देती आ रही है। उन्होने गुजरात की जनता से आह्वान किया है कि गुजरात की जनता मेरी जाति देखे बिना चुनाव जिताए। दुसरा ब्यान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत जी ने दिया है उन्होने लोगो से आह्वान करते हुए कहा कि पानी, मन्दिर और शमशान सबके लिए एक होने चाहिए। भागवत ने जात तोड़ो का नारा दे कर एक अच्छी पहल की है। उन्होने यह कहने की हिम्मत की है कि भारत जन्मना जाति को नहीं मानता था। वह कर्मणा वर्ण- व्यवस्था मे विश्वास करता था। यानि कि कोई भी आदमी अपने कर्म और गुण से ब्राह्मण बनता है। दोनो नेताओं के ब्यान को जातिवाद या जातिप्रथा को समाप्त करने के लिए एक प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे छपे एक लेख मे जहां इन ब्यानों की तारीफ की गई है वहीं भारत सरकार द्वारा गठित एक आयोग बनाए जाने का जिक्र किया है। स्मरण रहे यह आयोग मुसलमानो और ईसाईयों को को भी जातीय आधार पर आरक्षण देने का निर्णय लेगा।

मेरे विचार मे जब ईसाई और मुसलमानो को जातीय आधार पर आरक्षण का लाभ मिलेगा तो इससे धर्मान्तरण के बढ़ने के आसार है। स्मरण रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक और भाजपा ने हमेशा धर्मान्तरण का विरोध किया है। मेरा मत है कि जाति प्रथा को अब राजनैतिक लाभ के लिए जिन्दा रखा जा रहा है। राजनैतिक लाभ के लिए ही कुछ लोग जाति आधारित जन-गणना की मांग कर रहे है। वोट की राजनिति के चलते ही इस आयोग का गठन हुआ है। वोट के लिए जाति आधारित लाभ और जातिवाद खत्म करने के विचार दोनो मे विरोधाभास स्पष्ट दिखाई देता है। यदि वास्तव मे आप समाज को जातिवाद की बुराई से मुक्त करना चाहते हो तो आप को वोट के नफे नुकसान का हिसाब छोड़ना होगा। पहले सिर्फ अनुसूचित जाति के नाम पर राजनीति हो रही थी। अब स्वर्ण समाज के नाम पर राजनीति ही नहीं हो रही अपितु स्वर्ण समाज और उन की वोटों को ध्यान मे रख कर हिमाचल मे एक क्षेत्रीय दल का भी गठन हो गया है। इस प्रकार की जाति आधारित राजनीति का देश और समाज को बहुत नुकसान होगा। समय रहते हम सब को इसका स्थाई समाधान खोजना होगा।

Mohinder Nath Sofat

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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