*हिमाचल_को_मिलने_जा_रहे_नए_लोकायुक्त*
*हिमाचल_को_मिलने_जा_रहे_नए_लोकायुक्त*
17 अक्तूबर 2022- (#हिमाचल_को_मिलने_जा_रहे_नए_लोकायुक्त)-
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने न्यायाधीश सी बी बारोवालिया को लोकायुक्त के पद पर तैनाती दिए जाने को अपनी स्वीकृति दे दी है। शुक्रवार को जारी अधिसूचना के तहत न्यायाधीश सी बी बारोवालिया को लोकायुक्त के पद पर उनके हाईकोर्ट से इस्तीफा देने के बाद उन्हे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। अभी पिछले काफी समय से उपयुक्त योग्य व्यक्ति के उपलब्ध न होने के कारण लोकायुक्त का पद रिक्त चल रहा था क्योंकि अभी तक लोकायुक्त के पद पर हाईकोर्ट का सेवानिवृत्त मुख्य- न्यायाधीश या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को ही लगाया जा सकता था। अभी तक हिमाचल सरकार दो लोगो जस्टिस टी.आर वी टाटाचारी और जस्टिस लोकेश्वर सिह पांटा को लोकायुक्त के पद पर नियुक्ति दे पाई थी।
लोकायुक्त विधेयक मे संशोधन करने के बाद अब हाईकोर्ट के जज भी लोकायुक्त बन सकते है। यह संशोधन इसलिए किया गया है ताकि भविष्य मे लोकायुक्त के लिए उपयुक्त व्यक्ति चुनने मे सुविधा रहेगी, क्योंकि सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज मिलने मे कोई कठनाई नहीं होगी। खैर अभी तक जब से लोकायुक्त की स्थापना हिमाचल मे हुई है तब से आज तक लोकायुक्त की ओर से ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है जिसे याद रखा जाए। प्रदेश का लोकायुक्त पद 2017 से रिक्त पड़ा था। फिर भी प्रदेश चल रहा था और जब इस पद पर लोकायुक्त विराजमान थे तब भी लगभग प्रदेश इसी प्रकार चल रहा था। लोकायुक्त की नियुक्ति इसलिए की गई थी ताकि प्रदेश मे भ्रष्टाचार पर रोक लगे। हालांकि हिमाचल मे भी बढ़ते भ्रष्टाचार की खबरें लगातार मीडिया मे और विशेषकर सोशल मिडिया मे छपती रहती है।
आपसी बातचीत मे लोग इस पर चिंता व्यक्त भी करते है, लेकिन लोकायुक्त के पास शिकायत करने मे लोगो कि दिलचस्पी नहीं है। उसका कारण है कि लोकायुक्त मे शिकायत शपथ पत्र पर करने का प्रावधान है और शिकायत गलत साबित होने पर शिकायत कर्ता को सजा भी हो सकती है। मेरे विचार मे इस प्रावधान मे संशोधन कर जुर्माने का प्रावधान कर देना चाहिए। इसके अतिरिक्त लोकायुक्त के पास अपनी जांच ऐजंसी होनी चाहिए और लोकायुक्त को स्वयं संज्ञान लेकर कार्यवाई करने का अधिकार होना चाहिए अन्यथा केवल लोकायुक्त की नियुक्ति करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।