*सुबह की चौधराहट: लेखक :-राकेश कोरला पूर्व प्रशानिक अधिकारी हि प्र*
” सुनो जी , अगर दांयी आँख फड़के तो क्या होता है ? ”
मैंने कहा कि इन अंधविश्वासों की दुनिया से बाहर निकलो। आँख फड़कना भी एक सामान्य क्रिया है।
” नहीं , जी , मुझे तो किसी अनिष्ट होने का डर सा लग रहा है। “
मुझे कुछ लिखने में व्यस्त देख कर कहने लगी ,
” और कुछ हो न हो , मगर आप जो दिन भर कलम चलाते रहते हो और Social Media में लिखते रहते हो न , देख लेना किसी दिन ED का छापा न पड़ जाए। “
” अरे , भागवान , मैं कोई नेता या व्यवसायी तो हूँ नहीं और न ही कोई बड़ी तोप हूँ। मुझ नाच़ीज पर किसी की भी कोई कोप- दृष्टि क्यों पड़ेगी ?”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
” आपके व्यंग्य- बाणों से कई आहत होते होंगे !”
” भागवान , मेरे व्यंग्य किसी को घायल नहीं करते , बल्कि सचेत करते हैं और मेरे लिखने से कोई सरकारें बन या गिर तो नहीं जायेंगी।”
मगर हाई कमान मेरी कोई भी बात सुनने के mood में नहीं थी और कहने लगी कि यह निगोड़ी Facebook भी आप पर प्रतिबंध नहीं लगाती है ।
मैंने झल्लाते हुए कहा , ” एक तो मौसम का मिज़ाज ठीक नहीं है । सूर्य देव से विटामिन (D) मिल नहीं रहा और तुम सुबह-सुबह विटामिन ( डी उर्फ डांट) दिए जा रही हो ।”
पैर पटक कर कमरे से बाहर निकलते हुए बोली , ” इतनी सैर करते हो । राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो ‘ पदयात्रा में ही कदमताल कर लो तो किसी की नज़रों में तो आओगे ।”
मैंने मुस्कुराते हुए कहा , ” बस अपनी नज़रों में संभाले रखना। मेरे लिए यही काफी है ।”
राकेश कोरला
पुष्पांजलि।
पालमपुर।
हिमाचल प्रदेश।
14.11.2022
#सुबहकीचौधराहट