*सूरज को फिर घेर लिया हैं दुखो के काले बादलों ने*
एक विचार
सूरज को फिर घेर लिया हैं दुखो के काले बादलों ने लाख कोशिशों के बाद भी सूरज उन काले अंधेरों को नही चीर पा रहा शायद विधाता का इसमे जरूर हाथ हैं वरना दुख के छोटे मोटे बादल सूरज पर आये जरूर लेकिन जल्दी छट गये लगता है सूरज ने प्रारब्ध में बड़ी गलतियां की होगी जो उसकी सजा अब वो पा रहा हैं कोई बात नही जैसी ईश्वर की मर्ज़ी लेकिन समय एक सा कभी नही रहता दुख आपको और मजबूती से जीने की राह सिखाता है सूरज के भी दिन बदलेंगे ये सूरज को अपनी योग्यता पर भरोसा है उसने संसार को वक़्त पर रोशनी प्यार आशीर्वाद दिया दान धर्म सब किया इसलिये वक़्त को भी बदलना होगा और प्रकृति या ईश्वर दोनो को सूरज पर लगे दुख के ग्रहण को खत्म करना ही होगा। इससे एक बात सीखने को मिलती है जब सूरज पर बादलों का ग्रहण लग सकता है फिर इंसान क्या है उसे दुखो से घबराना नही चाहिये दुख तो राजा हरिश्चन्द्र पर आये भगवान राम पर आये लेकिन उन्होंने हिम्मत नही हारी इसलिये उस भगवान पर भरोसा रखते हुये कर्म करते रहो भगवान जरूर आपका भला करेगा
दुख वो हवा का बादल है जो भगवान की एक अच्छी निगाह से छट जायेगा।
यकीन मानो सूरज छिपता नही घूम कर वो फिर आकाश पर आयेगा।
विनोद वत्स