*प्रदेश में नए शासक आ गए पुराने चले गए .. लेखक संजीव थापर*
*प्रदेश में नए शासक आ गए पुराने चले गए .. लेखक संजीव थापर*
दोस्तो प्रदेश में नए शासक आ गए पुराने चले गए । यह हमारी व्यवस्था की एक खूबसूरती है कि आपके एक वोट ने “शासन व्यवस्था कौन चलाए” का अगले पांच वर्षों के लिए निर्णय कर दिया । कायदे से सरकार को धीरे धीरे गति बढ़ाते हुए आगे चलना था किंतु उन्होंने तो आते ही सरपट भागना शुरू कर दिया । अब इस दौड़ में वह सबसे आगे निकलती दिखाई दे रही है और देखने वाले चारों ओर से खूब तालियां मारते दिखाई दे रहे हैं , मारे भी क्यूं ना भई अब यह तालियां मारने का उन्हें मौका भी तो पांच सालों बाद मिला है । किंतु एक बात इस सरपट दौड़ में शासक शायद भूल बैठे हैं कि लम्बी रेस का घोड़ा धीमे चल कर धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाता है और जो शुरूआत ही अपनी उग्र गति से करते हैं जल्द ही हांफ जाते हैं । जिस गति के साथ आपका घोड़ा भाग रहा है उसमें उग्रता के साथ साथ प्रचंडता भी है जो डरा रही है और जिन लोगों ने आपके घोड़े पर दाव लगाया है वे भी असमंजता की स्थिति में खड़े हैं । घोड़े को जीतने के लिए कैसे भागना चाहिए , बताने के लिए बहुत से सलाहकार भी सोशल मीडिया में अपने पैन पेंसिल ले कर सक्रिय हो गए हैं । ये वे लोग हैं जो सलाहकार का धर्म निभाना , चाहे किसी की भी शासन व्यवस्था हो , अपना धर्म समझते हैं और बिना बुलावे के मेहमान की भूमिका बखूबी निभाते हैं । ऐसा नहीं है कि यह गलत सलाह देते हों अपितु कईयों को प्रशासनिक अनुभव होने के कारण वे कई बार व्यवस्था को चलाने में सहायक भी होते हैं । खैर खैर अल्लाह खैर करते हुए 18 दिन गुजर गए हैं किंतु अभी तक नवीन दुल्हन पर्दे में ही है और मुंह दिखलाई के लिए घर दोस्तों और रिश्तेदारों से भरा पड़ा है । देखते हैं मुहूर्त कब निकलता है ।