Editorial

*Editorial*कंझावला केस में जो कुछ भी हुआ दुर्भाग्यपूर्ण *

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कंझावला केस में जो कुछ भी हुआ दुर्भाग्यपूर्ण था ।

कंझावला केस में जो कुछ भी हुआ दुर्भाग्यपूर्ण था परन्तु मुझे लगता है कि लड़कों ने लड़की को इस लिए घसीटा ताकि उन्हें कोई देख ना ले ।उन्होंने आगे पीछे और यू-टर्न इसलिए लेते रहे ताकि लड़की किसी तरह से छूट जाए और उसके छूटते ही वे भाग जाएं क्योंकि अगर वह किसी लड़की को छुड़ाने के लिए गाड़ी रोकते और उसे छुड़ाने की कोशिश करते हैं तो वे लोगों की नजरों में आ जाते और वह फंस जाते , लड़की को कैसे अपने की एकमात्र मनचाही है लग रही है कि वह कहते थे कि किसी तरह से लड़की उनकी कार छूट जाए । शायद उनकी ऐसी सोच रही होगी।

दूसरी ओर जो उस लड़की की सहेली जो उसके साथ लड़की थी उसने जो आज टीवी पर बयान दिया है उसके मुताबिक उसने डर के कारण पुलिस को कुछ नहीं बताया कि कहीं पुलिस उसे ही नाहर न दबोच ले। और वह मुसीबत में ना फंसे जाए।
हमारे देश में यही कारण है कि पुलिस के डर के कारण लोग किसी भी घटना को रिपोर्ट करने के लिए आगे नहीं आते और ना ही पुलिस को सच बताने की हिम्मत कर पाते हैं ,क्योंकि अगर आप सच बताओगे तो भी आपको ठाणे के चक्कर लगाने पड़ेंगे ।आपको परेशानी झेलनी पड़ेगी ,और अगर आप छुपाते हो और बाद में पकड़े जाते हैं फिर तो आपको परेशानी झेलनी ही पड़ेगी।
इसलिए अगर पुलिस हमारे साथ फ्रेंडली रहे और वह हमारे साथ दोस्ताना व्यवहार करें और सूचना देने वाले को प्रताड़ित करने के बजाय उसे प्रोत्साहित करें उसे सुने चश्मदीद होने की बजाय उसे अपराधी ना समझे तो सभी लोग इस तरह के हादसों में तुरंत पुलिस को खबर करेंगे ।
जहां तक रही पुलिस के बात तो हर 100 या 200 मीटर पर पुलिस खड़ी नहीं हो सकती जहां भी पुलिस रही होगी अगर उसे सूचना मिलती और वे लोग उस गाड़ी का पीछा ना करते तो शायद पुलिस के गलती होती ,परंतु दिल्ली की 2 करोड जनता के लिए आप कितनी पुलिस लगा पाओगे ?इसमें हमारे सिस्टम का सारा फॉल्ट है क्योंकि कोई भी पुलिस या अपराधियों के विरुद्ध नहीं जाना चाहता क्योंकि वह दोनों ही तरह से परेशान होता है। और अगर वह अपराधी के विरुद्ध बोलता है तो दबंग लोग उसे भी परेशान करेंगे अपराधी लोग उसे भी धमकियां देंगे और पुलिस को अगर वह खबर करता है तो उसे इतना परेशान होना पड़ता है कि वह किसी भी झंझट में पड़ना नही चाहता।लोग अक्सर एक्सीडेंट देख कर भी आंखें मूंद कर चुपचाप आगे निकलने में ही अपनी भलाई समझते है।

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