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*Editotial:-नफरती_ब्यानों_पर_रोक_लगाने_की_जरूरत. महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*

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17 जनवरी 2023– (#नफरती_ब्यानों_पर_रोक_लगाने_की_जरूरत)–

प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे छपे एक लेख मे लेखक ने नफरती ब्यानों को रोकने के लिए कानून बनाने की वकालत की है। गत दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार को इसके लिए कानून बनाने की सलाह दी है। असल मे यह समस्या सोशल नेटवर्किंग के प्रसार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की बढ़ती पहुंच के कारण बढ़ गई है। जहां तक प्रिंट मीडिया का प्रश्न है वह काफी सावधानी बरतते है।यदि वे स्वयं सीमा लांघे तो उन्हे पकड़ना आसान होता है। हर शाम टी.वी पर बड़े से बड़े नेता, नामी-गिरामी बुद्धिजीवी और धार्मिक नेता बेलगाम हो जाते है। मेरी समझ मे समाज के विभिन्न क्षेत्रों मे काम करने वाले लोगो मे परिपक्वता और शालीनता की कमी देखी जा रही है। इलेक्ट्रॉनिक मिडिया अपनी दर्शक संख्या बढ़ाने के चक्कर मे यह सब कर रहा है।

दैनिक के लेख मे छपा यह सुझाव कारगर हो सकता है कि इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर होने वाली बहस का सीधा प्रसारण बंद कर पहले रिकॉर्डिंग किया हुआ प्रोग्राम प्रसारित होना चाहिए। इस प्रकार नफरत भरे अंश काटे जा सकते है। इसकी सारी जिम्मेदारी चैनल के सम्पादक की तय की जा सकती है। इसके साथ मर्यादाहीन चैनलो को दंडित करने के लिए कड़े कानून की जरूरत होगी। यदि ऐसा कानून होगा तो ये चैनल हर वाद विवाद को रिकार्ड कर पहले संयमित करेंगे और फिर उसको दर्शकों को दिखाएगें। इसके अतिरिक्त सोशल नेटवर्किंग को भी नियंत्रित करने और उसे भी कानून के दायरे मे लाना होगा। हालांकि कुछ लोग इस कानून और नियंत्रण का इस तर्क के साथ विरोध कर सकते है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ है, लेकिन अति हर बात की गलत है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग हो रहा है और इस से समाज मे गलत सन्देश जा रहा है। कभी-कभी तो व्यक्तिगत टिप्पणियां भी नफरत भरी होती है। उम्मीद है सरकार सर्वोच्च न्यायालय की सलाह पर अमल करते हुए नफरती ब्यानों को रोकने के लिए पग उठाएगी।

#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।

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