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*हँसती हुई आँखों वाले उदास लोग💐.कमाल का लेख :लेखिका तृप्ता भाटिया*

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*हँसती हुई आँखों वाले उदास लोग💐.कमाल का लेख :लेखिका तृप्ता भाटिया*

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हँसती हुई आंखों वाले उदास लोग जो एक झूठे मौन का मुखौटा लिए रूबरू होते है इस दुनिया से। खूद में टूटे हुए बिल्कुल एकांत से अपने दस बट्टे 12 के कमरे में बेतरतीब सिमटे हुए। अपने अकेलेपन से संघर्ष करते हुए अपने अंदर फैली खामोशियों से जूझते हुए। वो अपने अंतर्मन की हक़ीक़त नही कह पाते चीख के और उस चीख को दबाए दबाए खोखले हो जाते है। सहम जाते है जब कोई अपना उससे नाराज हो जाये,बौखला जाते है मन ही मन जब कोई अपना उसे नज़रंदाज़ कर जाएं… लेकिन इस घुटन में भी वह अपनी आंखों में एक हँसी बनाये रखते है…हँसती हुई आँखों वाले उदास लोग. जिनसे कुछ लोग बात भी तभी करते हैं जब फालतू का समय बर्बाद करना हो वरना इन उदास लोगों की उदासी या गमी जानने का भी समय नहीं है किसी के पास…और हंसती हुई आंखों वाले उदास लोगों को इतना भी हक़ नहीं होता कि पूछ पाएं खता क्या है हमारी।

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