*गिलोय_इम्युनिटी_बढ़ाने_के_लिए_बहुत_कारगर*
13 अप्रैल 2023- (#गिलोय_इम्युनिटी_बढ़ाने_के_लिए_बहुत_कारगर) –
आज मै अपना ब्लॉग अपने पंसदीदा विषय राजनीति से हट कर लिख रहा हूँ। यह ब्लॉग लिखने के लिए मैने जानकारी प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे प्रो डा० तारा सेन की रिपोर्ट से जुटाई है। उस रिपोर्ट से जुटाई गई जानकारी के अतिरिक्त मै अपना अनुभव भी सांझा कर रहा हूँ। स्मरण रहे कोरोना वायरस एक बार फिर दस्तक दे रहा है। सरकार की ओर से सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे मे हमे अपनी इम्युनिटि बढ़ाने के लिए ध्यान देना होगा। वल्लभ कालेज मंडी की वनस्पति विज्ञान की प्रो डा० तारा सेन इम्युनिटी बढ़ाने के लिए गिलोय को अपने खाने मे शामिल करने की वकालत कर रही है। स्मरण रहे टिनोस्पोरा गिलोय का वनस्पतिक नाम है। यह आम तौर पर गुलजे, गिलोय या हार्ट लीव मूनसीड प्लांट के रूप मे भी जाना जाता है। यह हिमाचल मे बहुत ही आसानी से उपलब्ध है। प्रो तारा सेन के अनुसार यह एक औषधीय पौधा है जिसमे एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी – इंफ्लामेटरी गुण होते है। अखबार मे छपी रिपोर्ट के अनुसार यह व्यापक रूप से मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रोल के स्तर, उच्च बुखार, पेट खराब, अल्सर तक के लिए इस्तेमाल किया जाता है। डा० तारा सेन गिलोय का पाऊडर तैयार कर खाने मे उपयोग करने की सलाह देती है।
गिलोय के उपयोग का मेरा भी बहुत सुखद अनुभव है। मै लगातार 2007 से गिलोय का सेवन कर रहा हूँ। मेरी श्रीमती रोज रात को गिलोय का एक छोटा टुकड़ा दो गिलास पानी मे उबाल कर एक गिलास बना लेती है और अगली सुबह हम दोनो आधा- आधा गिलास गर्म कर पी लेते है। आप यकीन माने 2007 के बाद हम दोनो बुखार, जुकाम और खांसी से पुरी तरह बचे रहे। इससे पहले कोई सर्दी ऐसी नहीं जाती थी जब यह बीमारियां हमे नहीं घेरती थी। हर सर्दी मे हमे अपने डाक्टर की सलाह पर एक या दो बार एंटीबायोटिक कोर्स करना पड़ता था। एक शुभचिंतक की सलाह पर हम लगातार गिलोय इस्तेमाल कर रहे है और लाभ उठा रहे है। आयुष मंत्रालय ने भी गिलोय को अमृत बेल का नाम देकर मान्यता प्रदान की है। रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल मे गांव के लोग भलीभांति इस से परिचित है। पुराने समय मे गिलोय के तने का सीरा बनाना आम बात थी और यह माना जाता था कि साल मे अगर 2 से 3 बार सीरे का हलवा या सीरा खा लें तो कई बीमारियों से बचा जा सकता है। खैर कोविड के इस दौर मे डा० तारा सेन के अनुसार गिलोय का सेवन लाभकारी हो सकता है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई
कड़ी के साथ मिलते है।