पाठकों के लेख एवं विचार
*जिद्दी_सी_बारिश #हेमांशु_मिश्रा*



#जिद्दी_सी_बारिश
#हेमांशु_मिश्रा
यह जिद्दी सी बारिश,
यह विपाशा का गुस्सा,
किसकी निशानदेही पे?
उखड़ते हुए कब्जे।
यह आफत की बारिश,
यह प्रकृति की चीख,
दरकते पहाड़ों पे?
थमता हुआ जीवन।
यह सिसकती सी बारिश,
यह मौसम का रोष,
मानवीय हरकतों पे?
प्रकृति का न्याय।
