“स्वच्छता के इनाम की पोल खोलता तहसील परिसर — जहां सड़ांध बोलती है और अफसर सोते हैं!”
” 😡 टॉयलेटों में दो-दो इंच गंदा पानी, बदबू और टूटी सीटें… जिम्मेदार अधिकारी उसी बिल्डिंग में बैठकर चुप!

“स्वच्छता के इनाम की पोल खोलता तहसील परिसर — जहां सड़ांध बोलती है और अफसर सोते हैं!”

😡 टॉयलेटों में दो-दो इंच गंदा पानी, बदबू और टूटी सीटें… जिम्मेदार अधिकारी उसी बिल्डिंग में बैठकर चुप!
पालमपुर (ट्राई सिटी टाइम्स)।
बूझो तो जाने — यह कौन से सरकारी दफ्तर का हाल है, जहां पर टॉयलेट इस तरह से टूटे-फूटे, गंदे और दो-दो गंदे बदबूदार, सड़ांध भरे पानी में, पेशाब में डूबे हुए हैं 😡। और ऐसा नहीं कि यह जिम्मेवार अफसरों की नजरों से बहुत दूर है — जो इस बिल्डिंग के रखरखाव और मेंटेनेंस के लिए जिम्मेदार हैं, वे भी यहीं पर बैठते हैं 😢। आम जनता को चाहिए कि कुछ और ना करें, उन्हें कहे कि यहीं एक बार जाकर सूसू करके आओ, दिखाओ 😡, फिर पता चलेगा कि व्यवस्था परिवर्तन क्या है और स्वच्छता का इनाम कैसे मिलता है। छोटे एंप्लॉई को तो आप दबाते रहते हो, वह बेचारे क्या करें, अपने अफसरों के आगे कुछ बोल नहीं सकते। हद है लापरवाही की — बेशर्मी की तो सारी हदें लांघ दी गई हैं।
यह तस्वीर पालमपुर तहसील परिसर संयुक्त कार्यालय की है, जहां पर हर छोटा-बड़ा आदमी, गरीब-अमीर, अपने कार्य को करवाने आते हैं — चाहे वह राजस्व, एडमिनिस्ट्रेशन, पुलिस, लोक निर्माण, लेखा या किसी अन्य महत्वपूर्ण विभाग से संबंधित हो। सभी को यहां पर आना पड़ता है, यहां अदालतें भी लगती हैं। परंतु यह हाल उस कार्यालय के शौचालय का है, जहां पर पेशाब और थूक का पानी दो-दो इंच तक जमा है। लोगों को मजबूरी में यहां पर आना ही पड़ता है — क्या करें, बदबू है, गंदगी है, लेकिन सब सहना पड़ता है क्योंकि आम पब्लिक की कोई नहीं सुनता।
जो इस कार्य के लिए जिम्मेवार लोग हैं, वे भी इसी कार्यालय में बैठते हैं, परंतु उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी गंदगी है, कितना यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, और लोग कितनी मजबूरी में यहां पर शौचालय जाते होंगे। और तो और, मजे की बात यह है कि फिर इसी शहर को “स्वस्थ शहर” और “स्वच्छता का इनाम” भी मिल जाता है! बाहर चमक-दमक दिखाने वाले अधिकारी अंदर की इस बदबूदार सच्चाई को छिपा नहीं सकते।
यह सीधी-सीधी लापरवाही और प्रशासनिक असफलता है। तहसील परिसर का रखरखाव करने वाले अफसरों और सफाई व्यवस्था के जिम्मेदार ठेकेदारों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। रखरखाव के नाम पर हर साल बजट पास होता है, लेकिन नतीजा जनता के सामने है — टूटी सीटें, बदबूदार फर्श और दुर्गंध से भरे टॉयलेट।
अगर अधिकारी खुद कभी इस गंदगी को महसूस करें, तो समझ पाएंगे कि जनता किस मजबूरी में इन टॉयलेटों का इस्तेमाल करती है।
सरकार और प्रशासन के लिए यह तस्वीरें एक आई ओपनर है — अब वक्त है कि इस पर तुरंत कार्रवाई की जाए, ताकि जनता को राहत मिले और “स्वच्छता अभियान” सिर्फ पोस्टर और इनाम तक सीमित न रह जाए।
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*“स्वच्छता के इनाम की पोल खोलता तहसील परिसर — जहां सड़ांध बोलती है और अफसर कुम्भकर्णी नींद में सोते हैं!*”😢
😡 *टॉयलेटों में दो-दो इंच गंदा पानी, बदबू और टूटी सीटें… जिम्मेदार अधिकारी उसी बिल्डिंग में बैठकर चुप!




स्वच्छता के इनाम की पोल खोलता तहसील परिसर
सेवा में
मुख्य संपादक, ट्राइसिटी न्यूज
श्रीमान जी, नमस्कार
आपका लेख स्वच्छता के इनाम की पोल खोलता ” तहसील परिसर ”
सूद साहब! बहुत खुशी होती है कि आप अपनी निर्भीक पत्रकारिता के साथ साथ ऐसे जनहित के मुद्दे भी उठाते रहते हो और एक निष्ठावान पत्रकार के नाते के साथ साथ आप पालमपुर शहर के कई मुद्दों , मुश्किलों , कमियों चाहे वो निगम की ओर से हों या प्रशाशन की ओर से या दूसरी कोई भी उनको आप किसी भी वक्त घर से निकलते या कहीं जाते अपनी पैनी नजरों से अपने दिमाग में बिठाकर उनके समाधान की प्रार्थना निगम , प्रशाशन या संबंधित विभाग से उठाकर उसके निवारण की कोशिश में लगे रहते हो , समाचार से रूबरू करवाना पत्रकारिता का एक एहम और अलग हिस्सा है लेकिन ऐसी कमियों , खामियों को उठाना एक इससे भी ज्यादा एहमियत रखता है , *टॉप 5 में पालमपुर निगम का आना निगम की उपलब्धि जरूर है और ये हमारे लिए खुशी और गर्व की बात है और ये
राष्ट्रीय स्तर पर नगर निकायों की स्वछत्ता रैंकिंग में पालमपुर निगम की शानदार दर्ज उपस्थिति है जो 2543 वें रैंक से 664 वें रैंक पर आ गई और ये उपलब्धि देश भर के निकायों में से एक है ,इसके लिए कई पहलू शामिल किए गए जिनमें स्वच्छता भी एक है तो क्या इस स्वच्छता वाले पहलू को निगम , निगम के महापौर , संबंधित पार्षद या अधिकारी इसको निभाने में अब भी सक्षम हैं , नहीं बिल्कुल नहीं, जो आपके लेख से बिल्कुल स्पष्ट है ,खतरा बने पेड़ों को हटाने के लिए बार बार आपका अनुरोध तब कहीं जाकर उस पर कार्यवाही होना हमें आश्चर्याचकित करता है कि जिस विभाग को जो काम देखना है उसको किसी दूसरे को दिखाना पड़े , अब ये तहसील परिसर के शौचालयों का ही मुद्दा देख लो अगर एक पत्रकार इस बात को न उठाएं तो क्या बाकियों की जिम्मेवारी कोई नहीं और ये वो स्थान है जहां सैकड़ों आदमियों का रोज इन कार्यालयों में किसी न किसी कारणबश आना जाना है , यहां मैं निगम की उस मीटिंग का ब्यौरा भी रखना जरूरी समझता हूं जिसमें आवारा कुत्तों की नशवंदी और खराब सोलर लाइटों को ठीक करने का फैसला लिया गया, ये फैसला भी अभी तक तो निगम के दफ्तर से बाहर कहीं पर भी साक्ष्यतित हुआ नहीं लगता है , महापौर जी / मेरे आदरणीय नाग जी , ये तो छोटे छोटे काम हैं जो तुरंत हो जाने चाहिए, एक बात का जिक्र करना मैं यहां जरूरी समझता हूं कि जिस दिन आपने महापौर का जिम्मा संभाला था हम लोगों में एक आस बंधी थी कि अब निगम में बड़े प्रोजेक्टों पर तो काम होगा ही और छोटी मोटी समस्याओं का तो आप खुद संज्ञान लेकर उनका तुरंत समाधान करवाएंगे और ऐसा हो भी क्यों न? क्योंकि हमारे कर्मठ विधायक श्री आशीष बुटेल जी का हाथ और आशीर्वाद जो आपके साथ है और ऐसा हुआ भी जिस सीवरेज के काम को हम नामुमकिन समझते थे उस बड़े प्रोजेक्ट का काम शुरू होने जा रहा है लेकिन इसी के साथ मेरा अनुरोध आशीष जी से रहेगा कि सीवरेज के अगले चरण की शुरुआत गांवों को प्राथमिकता देकर करें , नाग जी ! एक महापौर होने के नाते हमें आपसे एक आशा भी थी और आपका फर्ज भी था कि आप हर वार्ड में ” महापौर आपके द्वार ” नाम से एक कार्यक्रम रखते और अब भी रख सकते हैं जिसमें आप लोगों की समस्याओं को सुन सकते हैं क्योंकि कई बार वार्ड में विकास कार्यों को करवाने में भेद भाव रखा जाता है , हम गांव वासियों को निगम में आने से क्या हासिल हुआ ? मेरा जवाब होगा कुछ नहीं , न सड़कों का सुधार , न बिजली में सुधार , न ही कोई बस सर्विस में, न ही गांव में कहीं भी किसी रास्ते में पेवर पड़ी और यहां तक कि ड्रेन और सोक पिट का भी कहीं नामोनिशा नहीं , हां ये बात में अपने गांव टीका रोडी की कर रहा हूं , जो बिना मांग के शौचालय बनाया गया उसकी बदहाली पर कभी नजर दौड़ाई जाए तो वो सरकारी पैसे का दुरुपयोग ही तो है , हां सोलर लाइटों की रिपेयर का काम तो जल्दी हो जाना चाहिए था अगर लगी हुई लाइटों के होते हुए भी शाम होते ही अंधेरा पसर जाए तो इन खंभों को खड़ा करने का क्या औचित्य , कई लाइटों के तो छोटे छोटे काम हैं जैसे पैनल की डायरेक्शन ही गलत , तो ये तो सबसे छोटा और आसान काम है , नाग जी ! यहां में एक बात का जिक्र करना चाहूंगा कि गांवों में निगम और पार्टियों की तरफ से एक ही बात पर जोर दिया गया सोलर लाइट और सोलर लाइट, यहां तक कि हाई वे पर भी 10 , 10 मीटर पर धड़ौंधड़ लाइटें लगाई गई जहां कि कोई औचित्य ही नहीं बनता , लगी गांव की सड़कों पर भी , कहीं तो साथ साथ ही अपने अपनो को खुश करने के लिए और कहीं भेद भाव समझ कर बहुत सारा गैप डाला गया , चलो जो भी है , मांगने बाले का काम मांगना होता है, मर्जी देने वाले की चलती है दे या न दे , हमने इसी चैनल के सहारे माउंट कार्मल स्कूल ठाकुरद्वारा हाई वे टी ज्वाइंट बाली बात भी रखी थी , बहुत ही व्यस्त रोड़ है और यहां राइट लेफ्ट का कोई प्रावधान ही नहीं है , सुबह जब स्कूल लगती बार और बाद दोपहर छुट्टी के समय किसी भी दुर्घटना की संभावना बनी रहती है और दुर्घटनाएं हो भी चुकी हैं , दूसरा जो भी बच्चों के साथ ड्राइवर या अविभावक में माता पिता या अन्य आते हैं उनके लिय कहीं कोई पानी पीने या पेशाब तक जाने का प्रावधान नहीं है इसके लिय उनको कहां कहां तक जाना पड़ता है ये देखने बाली बात है तो अगर मेयर साहब आप वहां एक शौचालय का प्रवन्ध करने की कोशिश करें और हमारी गुजारिश के साथ साथ आप भी माननीय विधायक श्री आशीष बुटेल जी और पी.डब्ल्यू.डी. विभाग से बात कर इस टी ज्वाइंट में सुधार करवा सकें तो आपके ये काम स्वागत , प्रशंसा और हार्दिक धन्यवाद योग्य होंगे