*भाजपा_को_भगवान_राम_पर_है_भरोसा*



03 फरवरी 2024- (#भाजपा_को_भगवान_राम_पर_है_भरोसा)–

लोकसभा चुनाव सामने है। चुनावों के दृष्टिगत इस बार नियमित बजट पेश नहीं किया गया अपितु अंतरिम बजट देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पेश किया है। इस अंतरिम बजट की अगर राजनैतिक विवेचनात्मक समीक्षा की जाए तो ध्यान मे आता है कि सरकार पर चुनावों का कोई दबाव बजट पेश करते हुए नजर नहीं आ रहा है। मेरी समझ मे अंतरिम बजट मे रेवडियां नहीं बांटने के मायने है कि भाजपा इस बार चुनावों की नैया पार लगाने के लिए अंतरिम बजट पर आश्रित नहीं है। इसलिए परंपरा से हटकर मोदी सरकार ने चुनाव के ठीक पहले बजट मे रेवडियां नहीं बांटी। हालांकि इसके पहले सन 2019 मे ऐसे ही अंतरिम बजट के बावजूद किसान सम्मान निधि घोषित की गई थी। इस बार उम्मीद थी इस सम्मान निधि को बढ़ाया जा सकता है। मीडिया का आंकलन था कि महिला किसानों की सम्मान निधि मे अधिक इजाफा किया जा सकता है। जी एस टी के मद मे लगातार राजस्व मे बढ़ौतरी के चलते युवाओं को अलग से कुछ राशि देने की आशा थी। करदाताओं को भी कुछ छूट बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन टैक्सपेयर को न कोई छूट दी और न ही स्लैब बढ़ाया गया है।
मेरे विचार मे इस प्रकार की छूट देना इस बार सरकार की न मजबूरी थी और न ही प्राथमिकता थी क्योंकि भाजपा पुरी तरह राम भरोसे है। उनके रणनीतिकार राम लला की प्राण प्रतिष्ठा और भव्य मंदिर निर्माण से उपजी राम लहर के प्रति आश्वस्त है। वह राम नाम के सहारे चुनावी नैया पार करना चाहते है। मेरे राम भक्त दोस्त मजाक मे कहते है कि राम के नाम से तो पत्थर भी तैर जाते है। चुनावी नैया का पार होना तो पक्का है। खैर यह सब भविष्य के गर्भ मे है लेकिन यह अच्छा है और प्रशंसनीय है कि इस बार के अंतरिम बजट मे रेवडियां बांटने मे परहेज किया है और मुफ्तवाद को भी निरूसाहित किया गया है। राम भला करें।
#आज_इतना_ही।