Uncategorized

*पाठकों के लिए एक सुंदर रचना, लेखक:- संजय श्रीवास्तव*

1 Tct
Tct chief editor

सुनो न ..

मैं अच्छी तरह अब जानता हूँ कि तुम्हारा हमारा मिलना किसी ख्वाब की तरह है ,
लेकिन फिर भी जब कभी तुम मिलोगी ज़ब तुम्हें लगेगा कि मिलना है और तुम्हें उचित लगे ज़ब तुम्हारी आत्मा मिलने को व्याकुल हो तब मैं तुम्हे कुछ देना चाहूंगा, जो कि तुम्हारे लिए बचा कर रखा है…
कुछ बारिश की बूँदें…
जिसमे मैं तुम्हारे साथ अक्सर भीगना जाना चाहा है कुछ ओस की नमी..
जिनके नर्म अहसास मैं तुम्हारे साथ अपने बदन पर ओड़ना चाहा था,
और इस सब के साथ रखा है.. कुछ छोटी चिडियों का चहचहाना जो तुम रोज अपने घर में सुनती हो …
कुछ सांझ की बेला की रौशनी… कुछ फूलों की मदमाती खुशबू….. कुछ मन्दिर की घंटियों की खनक.. कुछ संगीत की आधी अधूरी धुनें… कुछ सिसकती हुई सी आवाजे… कुछ ठहरे हुए से कदम…
कुछ आंसुओं की बूंदे…
कुछ उखड़ी हुई साँसे….
कुछ अधूरे शब्द…
कुछ अहसास….
कुछ खामोशी….
और कुछ दर्द …
ये सब कुछ बचाकर रखा है मैंने सिर्फ़ तुम्हारे लिये…
सुनो कभी मिलोगी न ,,,,

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button