*सुप्रीम_कोर्ट_की_टिप्पणी_मे_जबरन_धर्म_परिवर्तन_को_देश_की_सुरक्षा_के_लिए_बड़ा_खतरा_बताया_गया_है*
16 नवम्बर 2022- (#सुप्रीम_कोर्ट_की_टिप्पणी_मे_जबरन_धर्म_परिवर्तन_को_देश_की_सुरक्षा_के_लिए_बड़ा_खतरा_बताया_गया_है)-
सुप्रीम कोर्ट ने जबरन धर्मान्तरण को बहुत गंभीर मसला करार देते हुए सोमवार को केंद्र से कहा कि वह इसे रोकने के लिए कदम उठाए और इस दिशा मे गंभीर प्रयास करें। कोर्ट जनहित याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। स्मरण रहे याचिकाकर्ता ने एक अर्जी दाखिल कर तमिलनाडु की 17 वर्षीय एक लड़की की मौत की ओर ध्यान आकर्षित किया था। इस लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। लड़की ने मरने से पहले लिखे नोट मे कहा है कि धर्म परिवर्तन करने के लिए उस पर दबाव बनाया गया। उपाध्याय ने कोर्ट से गुहार लगाई कि प्रलोभन देकर,दबाव बना कर या फिर धमकी देकर धर्म परिवर्तन करना संविधान के खिलाफ है, इसलिए इसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाए। इस दौरान अदालत ने चेताया कि यदि जबरन धर्मान्तरण को नहीं रोका गया तो बहुत मुश्किल स्थिति पैदा होगी, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
मेरे विचार मे सुप्रीम कोर्ट का यह कथन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार के अनुमोदन के रूप मे देखा जाना चाहिए। संघ लगभग एक शताब्दी से समाज को जबरन और प्रलोभन द्वारा किए जाने वाले धर्मान्तरण के बारे मे जागृत कर रहा है और विदेशी ताकतों के सहयोग से चलाए जा रहे धर्मान्तरण का विरोध कर रहा है। यहां एक बात और बतानी जरूरी है कि हिमाचल देश का पहला राज्य है जिसने जबरन या प्रलोभन द्वारा धर्मान्तरण को गैर कानूनी घोषित किया। स्मरण रहे यह कानून हिमाचल मे उस समय पास किया गया जब यहां कांग्रेस की सरकार थी और स्वर्गीय वीरभद्र सिंह जी मुख्यमंत्री थे। यह बात उल्लेखनीय है कि प्रलोभन और जबरदस्ती धर्मान्तरण करने वाले गरीबों, दलितों और आदिवासीयों को अपना निशाना बना रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को प्रतिवादी बनाते हुए केंद्र को 22 नवम्बर तक विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने लिए कहा है और अगली सुनवाई 28 नवम्बर को तय की है।
#आज_इतना_ही कल फिर नई कड़ी के साथ मिलते है।