Uncategorized

*भगवत गीता क्या है golok express*

हरि हरि बोल
मानव जीवन मिलना भगवान का सबसे अमूल्य उपहार है! 84 लाख योनियों में मनुष्य योनि को सर्वश्रेष्ठ माना गया है! हर मनुष्य अपने जीवन में खुशी पाना चाहता है और उस खुशी को प्राप्त करने के लिए मनुष्य अपना हर संभव प्रयास करता है भौतिक जगत में हमें खुशी मिलती तो है लेकिन वह क्षण भंगुर होती है यानी आज है और कल नहीं! हम सबके अंदर अनगिनत भौतिक इच्छाएं होती हैं और उन इच्छाओं को पूरा करना ही हम अपने जीवन का परम लक्ष्य समझते हैं लेकिन विडंबना यह है कि भौतिक इच्छाओं को पूरा करते-करते हमारा सारा मानव जीवन खत्म हो जाता है और ना तो हम अपनी इच्छाओं को पूरी तरह से पूरा कर पाते हैं और ना ही वास्तविक खुशी को अनुभव कर पाते हैं ऐसे में हम क्या करें जिससे हम अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य को पहचान पाए मैं कौन हूं,मेरे जीवन का वास्तविक लक्ष्य क्या है, मुझे यह मनुष्य जीवन क्यों मिला है?? ऐसे ढेर सारे प्रश्न समय-समय पर हमारे अंदर आते रहते हैं हमें समझ ही नहीं आता है कि हमारे इन प्रश्नों के उत्तर हमें कहां से मिलेंगे! दोस्तों हमारे इन सब प्रश्नों के उत्तर श्रीमद भगवत गीता में दिए गए हैं!
जैसा कि हम सब जानते हैं कि भगवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्णा ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध से पहले दिया था! महाभारत के युद्ध से ठीक पहले अर्जुन पूरी तरह से भ्रमित हो चुका था उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्या ना करें अर्जुन के अंदर तरह-तरह के नकारात्मक विचार आने लगे क्या सही है क्या गलत है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था!ऐसी परिस्थिति में अर्जुन ने भगवान श्री हरि की शरणागति को ग्रहण किया और कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि मेरे लिए क्या सही है क्या गलत है कृपया मेरा मार्गदर्शन करें!
दोस्तों इस तरह से हम भी अपने रोजमर्रा जीवन में किसी न किसी उलझन में फंसे रहते हैं बहुत बार जिंदगी हमें ऐसे दोराहे पर खड़ा कर देती है कि हमारे लिए क्या सही है क्या गलत है उसका फैसला हम अपने आप नहीं कर पाते हैं ऐसी परिस्थिति में हम अपने जीवन को लेकर उदासीन हो जाते हैं! ऐसे में श्रीमद भगवत गीता के अध्ययन से हम अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकते हैं क्योंकि भगवत गीता का हर एक श्लोक हमें जीवन जीने की एक नई राह दिखाता है!भगवत गीता को हमें साधारण पुस्तक समझने की गलती नहीं करनी है!यह तो एक ऐसा दिव्य ग्रंथ है जिसमें हमारी सारी उलझनों का समाधान मिलता है क्योंकि यह एक निर्देशात्मक पुस्तक है इसमें भगवान ने हमें क्या करना है क्या नहीं करना है उसके बारे में बताया है! भगवत गीता में भगवान ने अर्जुन के माध्यम से हमें आत्मा तत्व के गूढ़ ज्ञान को बहुत ही सरलता के साथ समझाया है कि हम आत्मा है और हम सब के अंदर भगवान परमात्मा रूप में विराजमान हैं और उस आत्मा का परमात्मा के साथ मिलन ही हमारे जीवन का परम लक्ष्य है और जब आत्मा का परमात्मा के साथ संबंध मजबूत होगा तभी हम अपने उस परम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें भक्ति युक्त कर्म करने होंगे! यानी अपने हर एक कर्म भगवान की खुशी के लिए करने होंगे!
भगवत गीता के गूढ़ ज्ञान को समझने के लिए हमें अर्जुन की तरह विनम्र होकर भगवान की शरणागति को ग्रहण करना है और जो- जो निर्देश भगवान ने अर्जुन को दिए हैं उन निर्देशों का पालन अगर हम भी करेंगे तो हम भी अपने जीवन में अर्जुन की तरह भगवान के दिखाए मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सार्थक बना सकते है!

 for details please click the following link,

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button