Himachal

*सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा ) लेखक महेंद्र नाथ सोफत मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*

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13 दिसंबर 2022- (#सुन_चंपा_सुन_तारा #कौन_जीता_कौन_हारा )–

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नई सरकार ने अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है। उधर भाजपा अपनी हार की समीक्षा करने की बात कर रही है। हालांकि भाजपा इस बार रिवाज बदल कर रिपीट करने की बात कर रही थी। इसके लिए पार्टी ने कड़ी मेहनत की। असीमित संसाधनो को झोंका, प्रधानमंत्री सहित केन्द्रीय मंत्रियों के दौरे करवाए गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जो हिमाचल से ही है उन्होने लगभग डेरा ही हिमाचल मे डाल दिया था। मेरे विचार मे हिमाचल मे भाजपा की हार की इबारत उपचुनाव के समय ही लिख दी गई थी। उस समय हार के जो कारण थे वह जस के तस बने रहे लेकिन ओ.पी.एस एक नया मुद्दा उभर कर सामने आ खड़ा हुआ। उपचुनाव की हार के बाद सरकार और संगठन मे बड़े आप्रेशन की उम्मीद की जा रही थी। न संगठन ने आत्मनिरीक्षण किया और न ही सरकार ने अपने व्यवहार मे कोई परिवर्तन किया।

मै विनम्रतापूर्वक एक बात कहना चाहूंगा सरकार ने मिशन रिपीट के लिए जो प्रयोग किए वह स्वर्गीय वीरभद्र की नकल मात्र थे। जैसे अनगिनत स्कूल और कॉलेज खोले गए। स्वास्थ्य संस्थान, तहसील, आई पी एच के डिविजन और यहां तक कि एक ही निर्वाचन क्षेत्र मे दो- दो सिविल सब- डिविजन खोल दिए गए। मेरी समझ के अनुसार कुछ संस्थान तो बिना जरूरत के खोल दिए जाते है। इस प्रकार के विकास से कुछ ठेकेदार और कुछ राजनैतिक कार्यकर्ता जरूर खुश होते है, लेकिन आम जनता का न एस.डी एम से कोई काम और न ही आई पी एच के डिविजन मे कोई काम होता है। बिना जरूरत के इस प्रकार की घोषणाओं से राजनैतिक लाभ भी नहीं मिलता और प्रदेश मे आर्थिक संकट मे जरूर इजाफ़ा हो जाता है। यह प्रयोग न तो वीरभद्र की सरकार रिपीट करवा सका और न जयराम की सरकार रिपीट हो सकी।

कांगडा के एक वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश धवाला ने ओ. पी.एस को हार का मुख्य कारण माना है। उनका कहना है कि यदि ओ पी एस का वायदा घोषणा पत्र मे लिखा होता तो हम न हारते। मेरी जानकारी के अनुसार प्रदेश नेतृत्व तो ओ.पी.एस के बारे मे घोषणा पत्र मे लिखना चाहता था, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने अनुमती नहीं दी। मेरी समझ के अनुसार प्रदेश नेतृत्व ने इस विषय पर जरूरत से अधिक रक्षात्मक रुख अपना लिया था। ऐसे रुख से बहुत अधिक नुकसान हुआ है। भाजपा को इस विषय पर आक्रामक रूख अपना कर यह बताना चाहिए था कि हिमाचल मे नई पैंशन स्कीम को कांग्रेस ने लागू किया था और वह अब भी कर्मचारियों को भ्रमित कर रही है। इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार का सहयोग जरूरी है। मेरे विचार मे ओ.पी.एस देना और ओ.पी.एस देने का प्रस्ताव पारित करने मे बहुत अन्तर है।

Mohinder Nath Sofat Ex.Minister HP Govt.

#आज_इतना_ही कल फिर इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मिलते है।

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