*”क्या रोनी सी सूरत बना रखी है” लेखक :-संजीव थापर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हिमाचल प्रदेश सरकार*
*”क्या रोनी सी सूरत बना रखी है” लेखक :-संजीव थापर पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हिमाचल प्रदेश सरकार*
क्या रोनी सी सूरत बना रखी है , अब उठो और आगे बड़ो जो होना था वो हो चुका अब मुंह छुपाई नहीं मुंह दिखलाई का समय आ गया है । सपनों की दुनियां का लोभ दिखाने वाले मित्र भाग चुके हैं और दूर खड़े तमाशा देख रहे हैं , अब उन्हें भी तो अपनी गोटियां कहीं ना कहीं फिट तो करनी है रे बाबा , रोजी रोटी का सवाल है । जब तक तुम्हारे जैसी गाय थी तब तक तो दूध दुहते रहे अब जब तुम सूख गए हो तो कहीं ना कहीं से दूध तो निकालेंगे ही । दोस्तो आज की परिस्थिति में यही राजनीति का मूलमंत्र है । जब भी नई सरकार बनती है कुछ इसी तरह से हारे हुए प्रत्याशी कुछ समय के लिए गायब हो जाते हैं , जीते हुए ढोल धमाकों के साथ जनता के बीच । अब यह जनता , अरे इसमें तो सभी शामिल हैं वो भी जो मुझे प्रलोभन देने आए थे , हैं यह क्या ये उस समय तो विरोधी पक्ष का साथ दे रहे थे और आज जीतने वाले पक्ष के साथ सबसे आगे खड़े हैं । मैं हैरान हूं कि जनता का जीते हुए प्रत्याशी के पांव को हाथ लगाना और उनके साथ फोटो खिंचवाने का कार्यक्रम साथ साथ चला हुआ है । अब जो लोग पांव को हाथ लगा कर अभिवादन कर रहे हैं वहां भी राजनीति कर रहे हैं । कुछ का हाथ केवल घुटनों तक ही पहुंच रहा है पांव तक नहीं पहुंचता अर्तार्थ इस तरह के लोगों का कोई और भी माई बाप राजनीति में है । इस तरह के लोगों के मन में यह भाव होता है कि ” तू नहीं तो कोई और सही हम तो केवल तमाशा देखने आए हैं । ” दोस्तो इस तरह के लोग धोखा देने वाले और किसी भी तरह पासा पलटने वाले होते हैं । दूसरी किसम
श्रद्धालुओं की होती है । वे पूरा झुक कर पांव को इतनी जोर से
पकड़ते हैं कि मानों उन्हें डर है कि
साहब कहीं भाग ना जाए । इस तरह के लोगों की मुख्य चिंता अपनी पत्नी का तबादला घर से तीन किलोमीटर के भीतर करवाना होता है और जब तक उनका उद्देश्य पूरा नहीं हो जाता वे प्रतिदिन सुबह 8 बजे आपको विजेता प्रत्याशी के घर नजर आ जायेंगे । कईयों का तो चाय नाश्ता भी वहीं चलता है । फोटो सेशन की भी अजब कहानी है दोस्तो । विजेता प्रत्याशी के साथ मौका पा कर तस्वीर खिंचवा ली जाती है और बाद में इसका प्रयोग अपनी शक्ति प्रदर्शन के लिए किया जाता है । अब देखिए ना यदि आपने ध्यान दिया होगा तो फेसबुक पर विजेता प्रताशियों की तस्वीर के साथ कई जाने पहचाने और अनजान लोगों की तस्वीरों की बाढ़ सी आई हुई है । तस्वीरें चाहे नई है या पुरानी कोई अंतर नहीं पड़ता । इसका केवल एक ही अर्थ है कि ” विरोधियों ज़रा दूर ही रहना , हमारी पकड़ यहां तक है ” ।
अब इन तस्वीरों को देख देख विरोधियों के चेहरे कुछ और मुरझा रहे हैं और खीज मिटाने के लिए वे हार का ठीकरा एक दूसरे पर फोड़ने लगे हैं । दोस्तो बहती गंगा में हमने भी हाथ धोने की कोशिश की है और फोटो खिंचवाने के लिए आगे कदम बढ़ाए हैं किंतु किसी ने अड़गी डाल कर पीछे धकेल दिया है और मुंह लटकाए मैं एक कौने की ओर खिसक लिया हूं ।